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एनआरआई क्रिकेटर

भारत एक नाम ही नहीं बल्कि एक जज्बा है जिसको हर भारतीयों ने एक अदम्य साहस से दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जाकर जिया है और इसी भारतीयता को पूरे दुनिया में पहुंचाने में प्रवासी भारतीयों का एक अहम् योगदान रहा है . औपनिविशकाल के कालान्तर से चला रहा प्रवास का दौर अब तक अविरल रूप से चल रहा है इसी अविरल धारा ने देश के बाहर भी कई ऐसे भारतीयों को विभिन्न क्षेत्रो में चमकते देखा है उसी कड़ी में क्रिकेट एक ऐसा पहलु रहा है जिसकी लोकप्रियता और भारतीयों के खून में शामिल होने के कारण इस खेल को प्रवासी भारतीयों ने क्रिकेट के देश यानि ब्रिटेन में वहा स्थानीय स्तर पर ही नहीं बल्कि वहा के राष्ट्रीय टीम में जगह बनाकर एक जबरदस्त मिसाल पेश की है .
हाल ही में अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म "पटियाला हाउस" में काफ़ी कुछ इसी तरह के किरदार को अक्षय ने परदे पर जिया है . अब तक इंग्लॅण्ड में भारतीय केवल व्यवसायिक गतिविधियों तक अपने को बांधकर कर रख रहे थे पर पिछले बीस सालो से दुनिया भर में हुयी उथल पुथल और सिमटती जा रही दुनिया में नाम कमाने का जज्बा भी प्रवासी भारतीयों को पड़ा इसी लिए इन भारतीयों की अगली पीड़ी ने अपने को अन्य क्षेत्रो में भी आजमाना शुरू किया खेल की बात करे तो भारत की तरह बाहर जा बसे लोगो की स्थिति कमोबस क्रिकेट को लेकर वही है जो यहाँ है इस खेल के जूनून को वहा के लोगो ने जमकर दोहा . और तो और इन्ही भारत वंशियो की भूमिका पूरे दुनिया में क्रिकेट की लोकप्रियता बढ़ाने में भी रहा है . आज से लगभग दो सौ साल पहले गुलाम बनाकर ले गए हिन्दीभाषी भारतीयों को बड़ी तादाद में गुयाना और उसके आसपास में लाया गया और इनके वंशो ने आज वहा की सामाजिक ढाँचे में अपने आपको इस तरह समाहित कर लिया है कि इनके बगैर वहा की कोई भी विकास पूरक कल्पना संभव नहीं दिखती .यहाँ के ना केवल बल्कि राजनैतिक क्षेत्रो में भी भारी सफलता अर्जित की है. पूरी दुनिया की कई टीमो की ओर से बहुत सारे भारतीय मूल के क्रिकेटरों ने अपनी लगन और शानदार खेल से अपने अपने देशो को गौरव दिलाया है ऐसे कई क्रिकेटरों को उनके ज़ज्बे के लिए और भारत का नाम दूसरे मिलको में रोशन करने के लिए इनको बधाई दे तो कोई अचरज नहीं होनी चाहिए . इस पूरे विषय में दीपक राई की अध्ययन रिपोर्ट पेश की है .











रोहन कन्हाई 75 साल के हो चले रोहन भोलालाल कन्हाई क्रिकेट के महान बल्लेबाजों में शुमार किये जाते है एंग्लो -गुयनाई इस बल्लेबाज़ के प्रशंसको में भारत के लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर भी है और तो और सुनील गावस्कर ने अपने बेटे का नाम भी रोहन कन्हाई के प्रति उनकी देव्व्नागी के चलते रोहन रखा . वेस्ट इंडीज़ के गौरवशाली इमारत की इबादत लिखने वाले कन्हाई ने अपने टीम के लिए 79 टेस्ट खेले और 47 .53 की औसत से 6227 रन बनाए .










सोनी रामाधीन - वेस्ट इंडीज़ की महान टीम के लिए खेले रामाधीन केरेबियन द्वीप त्रिनिदाद में जन्मे और अपने देश के लिए खेलते हुए 43 टेस्ट खेलकर 158 विकेट लिए . एक और दिलचस्प पहलू यह भी है कि पूरे क्रिकेट जीवन पे रामाधीन के ऊपर थ्रोविंग के आरोप लगते रहे थे और बाद में उन्होंने भी स्वीकार था कि इसी डर से कि उनकी एक्शन में संदेह ना हो इसलिए वो लम्बी बाह के शर्ट पहनते थे .













एल्विन कालीचरण - वेस्ट इंडीज़ टीम के पूर्व कप्तान रहे कालीचरण अब 61 बरस के हो गए है और इनका नाम आधुनिक क्रिकेट में बड़े अदब से लिया जाता है क्यूंकि इनकी खेल की शैली बेहद आक्रामक और सटीक थी . किसी भी एकदिनी प्रथम श्रेणी में दोहरा शतक लगाने वाले कालीचरण पहले बल्लेबाज़ थे . उनकी मशहूरियत भारत में इस कदर थी कि सुभाष घई की सुपरहिट फिल्म ना नामकरण इन्ही महाशय के नाम पर किया गया था . इन्होने 66 टेस्ट में 44 .43 की औसत से 4399 रन बनाए .












शिवनारायण चंद्रपाल - आज के क्रिकेट में शिवनारायण चंदरपाल बेहद कामयाब क्रिकेटरों में से है बाए हाथ के दुनिभर में सबसे सफल बल्लेबाजों में गिने जाने वाले इस 36 साल के भारतीय मूल के क्रिकेटर ने टेस्ट में अपना पर्दापण बेहद मजबूत वेस्ट इंडीज़ टीम के लिए गुयाना से प्रतिनिधित्व किया और इन्होने वेस्ट इंडीज़ टीम का पतन होते हुए भी अपनी आँखों से देखा . रेखा और अमिताभ बच्चन के फिल्मो के दीवाने चंद्रपाल आज भी भारतभूमि और गंगा नदी से अपने जुड़ाव को भूले नहीं है . 126 टेस्ट में 49 .28 की औसत से 8969 रन बनाकर वो वेस्ट इंडीज़ के लिए सबसे ज़्यादा रन बनाने के मामले में दूसरे पायदान पर है










रामनरेश सरवन - अपनी धाकड़ और आक्रामक बल्लेबाजी के लिए मशहूर इस एंग्लो भारतीय ने सन 2000 में पकिस्तान के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में अपनी शुरुआत की . आज रामनरेश सरवन वेस्ट इंडीज़ क्रिकेट का सबसे ज़बरदस्त और धाकड़ बल्लेबाज़ है अपने दस साल के क्रिकेट जीवन में इन्होने अब तक 82 टेस्ट में 41 .95 की औसत से 5706 रन बनाए है सरवन भी चंद्रपाल की तरह हिंदी फिल्मो के शौक़ीन है .











दारेन गंगा - त्रिनिदाद के इस 31 वर्षीय सलामी बल्लेबाज़ ने भी काफी लम्बे समय से अपनी सेवाए वेस्ट इंडीज़ की राष्ट्रीय टीम को दी है . अब तक ठीक ठाक चले अपने क्रिकेट कैरियर से काफी नाखुश रहने वाले इस बल्लेबाज़ की भी रुचिय अपने अन्य भारतीय मूल के खिलाडियो की तरह ही है आज भी मौका मिलने पर भोजपुरी गाने सुनने के शौक़ीन गंगा ने अपना पहला टेस्ट मात्र 18 साल की उम्र में 1998 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेलकर शुरू किया , अब तक 48 टेस्ट में 25.71 की मामूली औसत से 2160 रन ही बनाए है












विक्रम सोलंकी - उदयपुर राजस्थान में जन्मे इस इंग्लिश क्रिकेटर को सभी ने आईपील में खेलते हुए देखा एकदिवसीय क्रिकेट के लिए फिट माने जाने वाले इस क्रिकेटर अब तक इंग्लैंड की तरफ से कोई भी टेस्ट नहीं खेला है और सोलंकी ने वनडे में 51 मैच खेलकर 26 .75 की औसत से 1097 रन बनाए है . रोचक बात यह है कि सोलंकी ने 2006 -07 के रणजी सत्र में राजस्थान टीम की ओर से रणजी मैच खेले .













मोंटी पनेसर - मधुसुदन सिंह पनेसर इंग्लॅण्ड की ओर खेलने वाले पहले सिख खिलाड़ी है जूनियर क्रिकेट से ही तहलका मचाने वाले इस बाए हाथ के ऑफ स्पिनर की गिनती आज भी इंग्लैंड के श्रेष्ठ गेंदबाजों में होती है . सिर में साफा बांधकर खेलने वाले मोंटी की प्रशंसको की तादाद भी अच्छी खासी है भारत में भी उनके बहुत सारे फैन्स है जब पहली बार इंग्लैंड की ए टीम के साथ मोंटी ने भारत का दौरा किया था तो लोग उनको गेंदबाजी करते देख हैरान थे कि भारत बैटिंग कर रहा है या फील्डिंग . अब तक 39 टेस्ट मैचो में 34 .37 की औसत से 126 विकेट ले चुके है पनेसर .
















मार्क रामप्रकाश
- इंग्लॅण्ड के लिए टेस्ट खेले इस बल्लेबाज़ का प्रथम श्रेणी रिकार्ड बहुत ही शानदार रहा है यहाँ तक की अभी वर्तमान में क्रिकेट खेल रहे क्रिकेटरों में रामप्रकाश 100 शतक लगाने वाले एकमात्र बल्लेबाज़ है .घरेलू क्रिकेट में चमकदार रिकार्ड होने के बावजूद रामप्रकाश का रिकार्ड टेस्ट क्रिकेट में बेहद खराब रहा है ओर इन्होने 52 टेस्ट खेलकर 27.32 की औसत से महज़ 2350 रन बनाए है .














नासेर हुसैन - चैन्नई में जन्मे हुसैन मात्र एक साल की उम्र में अपने पिटा के साथ इंग्लैंड चले गए थे . हुसैन इंग्लैंड की कप्तानी करने वाले पहले भारतीय मूल के क्रिकेटर थे, अपनी चतुर कप्तानी के लिए पूरी दुनिया में मशहूर हुसैन के पिता ओर चाचा दोनों रणजी ट्राफी में भारत के लिए और इंग्लिश काउंटी में वोर्सस्टरशायर की ओर से क्रिकेट खेले . सफल कप्तान के साथ इनका रिकार्ड भी शानदार रहा है इन्होने 96 टेस्ट खेलकर 37 .18 की औसत से 5764 रन बनाए .













हाशिम आमला - सूरत , गुजरात से दक्षिण अफ्रीका जाकर बसे इस भारतीय मुस्लिम क्रिकेटर ने दक्षिण अफ्रीका के लिए खेलकर पहले मुस्लिम टेस्ट क्रिकेटर होने का गौरव पाया . बेहद सशक्त बल्लेबाजी तकनीक के लिए प्रसिद्ध इस होनहार युवा बल्लेबाज़ का अंतर्राष्ट्रीय रिकार्ड बहुत शानदार रहा है अब तक 49 टेस्ट खेलकर 46.75 की औसत से 3787 रन बना चुके है .

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