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दफ़न होने के लिए दो गज ज़मीन कम तो नहीं ?

मरने के लिए आदमी को दो गज ज़मीन से ज़्यादा ना तो लगता है और ना ही उससे ज़्यादा लगे परन्तु सत्ता के साकेत पर बैठे तुम भ्रष्ट हम भ्रष्टन की परिपाटी पर चलने वाले नेताओ , नौकरशाहों और बिल्डरों ने मिलकर जो ज़मीन निगलनी शुरू की उससे एक बात तो स्पष्ट हो गयी कि ज़मीन का टुकडा अपने ही मुल्क को खोखला करे जा रहा है जिस ज़मीन और माटी के लिए आन्दोलन हुए आज फिर उसी माटी के लिए नवान्दोलन की आवश्यकता है । अभी हाल ही में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण भी ज़मीन के लालची कर्मकाण्डो के दिल्ली दरबार में सोनिया मादाम को इस्तीफा देने पर मजबूर हुए । क्या मुख्यमंत्री इन्ही कार्यो के लिए बने थे अशोक चव्हाण ? जब किसी राज्य अथवा देश का मुखिया ही ऐसे भ्रष्टाचार में घिरा रहेगा तो देश और राज्य का क्या होगा । महाराष्ट्र के ही राजस्व मंत्री और किसी समय शिवसैनिक रहे नारायण राणे ने भी एक कदम आगे निकल कर अपनी पत्नी को अपने पद का दुरूपयोग करते हुए अवैध रूप से ज़मीन दिलवा दी उन पर आरोप लगे है कि प्रसिद्ध हिल स्टेशन महाबलेश्वर स्थित एक मंदिर ट्रस्ट ने बंबई हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर कहा है कि उसकी जमीन का एक टुकड़ा महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री नारायण राणे की पत्नी नीलिमा राणे को अवैध रूप से बेचा गया है । और तो और हो सकता है कि नारायण राणे अपने दामन में लगे दाग के बावजूद महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री बनते नज़र आ जाए ।

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1 comments to "दफ़न होने के लिए दो गज ज़मीन कम तो नहीं ?"

  1. हिन्‍दुओं को तो दो गज जमीन भी नहीं चाहिए। एक ही स्‍थान पर न जाने कितनी चिताए जल जाती हैं। लेकिन पता नहीं लालसा क्‍यों नहीं जाती? हर व्‍यक्ति धर्म के लिए झगडा कर रहा है लेकिन धर्म को कोई पालन नहीं करता, बस एकत्रीकरण में लगा है। न जाने यह पिपासा कहाँ जाकर रुकेगी?

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