कहने के लिए भले ही छत्तीसगढ़ कांग्रेस में केंद्रीय राज्य मंत्री वी नारायण सामी पर कालिख फेंके जाने का मुद्दा शांत होता दिख रहा हो लेकिन इसकी गूंज अभी लंबे समय तक सुनाई देगी। हकीकत यह है कि यहां कांग्रेस की गुटबाजी को आलाकमान अपना पूरा दम लगाकर भी शांत नहीं कर सकता। प्रभारी के रूप में सामी की यहां यह दूसरी बार फजीहत हुई है। मंगलवार को पीसीसी प्रतिनिधियों की बैठक में जब महज एक लाइन का प्रस्ताव पारित करवाने के लिए सामी यहां पहुंचे थे तो कांग्रेस भवन के बाहर ही उन पर काली स्याही फेंकी गई जो उनके चेहरे और कपड़े पर होते हुए उनके साथ कार से उतरे शहर कांग्रेस अध्यक्ष इंदरचंद धाड़ीवाल पर भी पड़े। तमतमा गए सामी ने एक पल के लिए तो रुक कर जायजा लिया कि आखिर हो क्या रहा है फिर दूसरे ही पल वे अपना चेहरा साफ करते हुए अंदर की ओर चल पड़े। अंदर बैठक में पूरे समय उनका चेहरा तमतमाया ही रहा। प्रदेश कांग्रेस के कुछ नेताओं ने फौरन बयान देते हुए एक चतुराई भली चाल यह चल दी कि सारा दोष राज्य की भाजपा सरकार के मत्थे यह कहते हुए मढ़ दिया कि एक केंद्रीय मंत्री को सुरक्षा देने में कोताही बरती गई।
छत्तीसगढ़ कांग्रेस में कितने गुट हैं, इस सवाल का जवाब ढूंढ पाना शायद उतना ही मुश्किल हो जितना कि यह बताना कि आखिर किसी फूल में कितने परागकण होते हैं। इसी का नतीजा है कि एक समय जब छत्तीसगढ़ राज्य बनने जा रहा था तब तत्कालीन मप्र के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह यहां बतौर मुख्यमंत्री की हैसियत से आए होने के बाद भी पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल के फार्म हाउस में न केवल धक्कामुक्की झेल कर अपना कुर्ता फड़वा चुके हैं बल्कि तमाचा भी खा चुके हैं। हैरत की बात तो यह कि तब भी यह मामला एक लोकसेवक पर हमला का था लेकिन पुलिस तक यह मामला गया ही नहीं। और अब जब सामी पर महज कालिख फेंकी गई,फौरन मामला पुलिस में गया और दो दिन के अंदर इस घटना के मास्टरमाइंड के रुप में शहर कांग्रेस के एक कार्यकर्ता का नाम सामने आ गया और पुलिस उसे फरार बता रही है। जिस व्यक्ति का नाम मास्टरमाइंड के रुप में सामने आया है वह पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम का कट्टर समर्थक माना जाता है। जब नेताम भाजपा में गए तो उनका यह समर्थक भी वहां पहुंचा, और फिर जब नेताम कांग्रेस में लौटे तो यह समर्थक भी घर के बुद्धू की तरह कांग्रेस में लौट आया। इसका नाम पप्पू फरिश्ता है। कालिख फेंकने के दौरान जो आरोपी घटनास्थल पर ही पकड़ाए थे उन्होंने जो पुलिस को बताया उसके मुताबिक फरिश्ता ने उन्हें पांच हजार दिए साथ में पर्चे भी जो कालिख फेंकने के दौरान बांटे गए। वैसे सामी से फरिश्ता की अदावत पुरानी है। फरिश्ता पहले भी कांग्रेस से निष्कासित हो चुका है और इसके लिए वह सामी को ही जिम्मेदार मानता रहा है। इसी के चलते जब सामी पांडिचेरी से चुनाव लड़ रहे थे तब इस "फरिश्ता" ने पांडिचेरी पहुंचकर उनके खिलाफ प्रचार करने के साथ ही प्रेस कांफ्रेंस लेकर पर्चे भी बांटे थे। फिलहाल फरिश्ता को एक बार फिर कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया है बकायदा इस सिफारिश के साथ कि अब उसे फिर कभी कांग्रेस में न लिया जाए।
संभवत: इस घटना के बाद दिग्विजय सिंह अपने साथ घटी घटना को याद करके सामी को यह कहें कि गनीमत मानों सिर्फ़ कालिख ही मिली तुम्हें। अब बात करें कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के सपने के तहत कांग्रेस के संगठन चुनाव की। तो छत्तीसगढ़ में एनएसयूआई और युवक कांग्रेस के चुनाव नियमों के तहत तो हो ही गए। भले ही जोगी खेमे से अमित जोगी की रणनीति के तहत चुना गया प्रदेश युवक कांग्रेस अध्यक्ष इसलिए विवादों के घेरे में आ गया क्योंकि आरोप के मुताबिक उसने सरकारी नौकरी में रहते हुए चुनाव लड़ा। लेकिन प्रदेश कांग्रेस के संगठन चुनाव राहुल बाबा की चाहत के अनुसार नहीं हुए। यहां की गुटबाजी के चलते आखिरकार नवनिर्वाचित पीसीसी मेंबरों की बैठक यह में आलाकमान के निर्देश के तहत एक लाइन का प्रस्ताव पारित करवाना पड़ा कि आलाकमान ही तय करेगा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कौन हो। मतलब यह कि राहुल बाबा कांग्रेस का चाल-चलन बदलने के लिए चाहे लाख जतन कर लें। प्रदेश में बैठे बड़े नेता अपने चालें अपने हिसाब से ही चलेंगे। अब बड़ा कौन, राहुल बाबा या फिर प्रदेश कांग्रेस के नेता, यह तो आलाकमान ही जाने लेकिन दो लोकसभा चुनाव और दो विधानसभा चुनाव में इसी गुटबाजी के चलते पराजय का दंश झेल चुकी प्रदेश कांग्रेस और उसके नेता संभलने को तैयार ही नहीं है।
( विस्फोट डाट कॉम के साभार से )
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सामी नहीं, कांग्रेस के मुंह पर कालिख
Posted by VEER GORKHA NEWS NETWORK on 1:21 PM // 1 comment
साभार लेते हैं तो लेखक का नाम दिया जाना चाहिए भाई साहब